शिवरात्रि का व्रत निम्नलिखित तरीके से किया जा सकता है:
- पूजा की तैयारी:
- शिवरात्रि के पूर्व रात्रि को नींद से जागें और स्नान करें।
- शुद्ध कपड़े पहनें और पूजा के लिए सामग्री जैसे शिवलिंग, दूध, देवी परिवार, फूल, धूप, दीप आदि को तैयार करें।
- एक पूजा स्थान तैयार करें, जहां पर आप पूजा करेंगे।
- पूजा विधि:
- पूजा की शुरुआत करने से पहले, गणेश जी की पूजा करें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।
- अपने मन को शुद्ध करें और शिव जी को मन में स्थान दें।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और उसे दूध, जल, देवी परिवार, फूल, धूप, दीप आदि से सजाएं।
- मन्त्रों का जाप करें, जैसे “ॐ नमः शिवाय” और “महामृत्युंजय मंत्र”।
- अपनी भक्ति और प्रार्थनाएं शिव जी के प्रतीक के सामने रखें।
- आप चाहें तो शिव चालीसा, शिव तांडव स्तोत्र, शिव पूजा कथा आदि का पाठ कर सकते हैं।
- उपवास:
- शिवरात्रि के दिन उपवास रखें। यहां आप पूर्ण निराहार या फलाहार उपवास चुन सकते हैं।
- भोलेनाथ की प्रसाद के रूप में फल, पानी, दूध, चावल, सबूदाना, धनिया, खीर, पुरी आदि खाने की वस्तुएं रखें।
शिवरात्रि की कथा: शिवरात्रि की कथा में मान्यता है कि एक बार प्राचीन काल में एक वन में एक गरीब निषाद राजा था। उनका नाम सुन्दरकाण्ड था। सुन्दरकाण्ड ने अपने भाईयों के साथ शिवलिंग पर शिवरात्रि का व्रत रखा। वे गहरे अंधकार में शिव जी की पूजा करते रहे। उनके व्रत में वे शिव जी को पत्रपुष्प, जल, धूप, दीप, अक्षत आदि समर्पित करते थे।
शिवरात्रि की रात्रि में सुन्दरकाण्ड ने अपनी श्रद्धा के साथ नींद का त्याग किया। उन्होंने एक जल कुंड में निषाद के साथ शिवलिंग का स्थानांतरण किया। अगली सुबह, जब ग्रहों की प्रभावशाली शक्तियाँ शिवलिंग को छूती हैं, वे सुन्दरकाण्ड के महिमा से अवगत हो गए। शिव जी ने सुन्दरकाण्ड की पूजा स्वीकार की और उन्होंने सुंदर अद्भुत वरदान प्राप्त किए। इसके पश्चात सुन्दरकाण्ड राजा बने और उन्होंने संतान, ऐश्वर्य, सुख, समृद्धि की प्राप्ति की।
शिवरात्रि का व्रत और कथा करने से शिव जी की कृपा मिलती है और आपके जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और प्रगति की प्राप्ति होती है।