Shiv Chalisa Jai Shiv Shankar Odhardani In Hindi (जय शिव शंकर औढरदानी शिव चालीसा)

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जय शिव शंकर औढरदानी।
जय गिरितनया मातु भवानी ।। 1 ।।

सर्वोत्तम योगी योगेश्वर।
सर्वलोक-ईश्वर-परमेश्वर।। 2 ।।

सब उर प्रेरक सर्वनियन्ता।
उपद्रष्टा भर्ता अनुमन्ता।। 3 ।।

पराशक्ति-पति अखिल विश्वपति।
परब्रह्म परधाम परमगति।। 4 ।।

सर्वातीत अनन्य सर्वगत।
निजस्वरूप महिमा में स्थितरत।। 5 ।।

अंगभूति-भूषित श्मशानचर।
भुंजगभूषण चन्द्रमुकुटधर।। 6 ।।

वृष वाहन नंदी गणनायक।
अखिल विश्व के भाग्य विधायक।। 7 ।।

व्याघ्रचर्म परिधान मनोहर।
रीछचर्म ओढे गिरिजावर।। 8 ।।

कर त्रिशूल डमरूवर राजत।
अभय वरद मुद्रा शुभ साजत।। 9 ।।

तनु कर्पूर-गौर उज्ज्वलतम।
पिंगल जटाजूट सिर उत्तम।। 10 ।।

भाल त्रिपुण्ड मुण्डमालाधर।
गल रूद्राक्ष-माल शोभाकर।। 11 ।।

विधि-हरी-रूद्र त्रिविध वपुधारी।
बने सृजन-पालन-लयकारी।। 12 ।।

तुम हो नित्य दया के सागर।
आशुतोष आनन्द-उजागर।। 13 ।।

अति दयालु भोले भण्डारी।
अग-जग सब के मंगलकारी।। 14 ।।

सती-पार्वती के प्राणेश्वर।
स्कन्द-गणेश-जनक शिव सुखकर।। 15 ।।

हरि-हर एक रूप गुणशीला।
करत स्वामि-सेवक की लीला।। 16 ।।

रहते दोउ पूजत पूजवावत।
पूजा-पद्धति सबन्हि सिखावत।। 17 ।।

मारूति बन हरि-सेवा कीन्ही।
रामेश्वर बन सेवा लीन्ही।। 18 ।।

जग-हित घोर हलाहल पीकर।
बने सदाशिव नीलकण्ठ वर।। 19 ।।

असुरासुर शुचि वरद शुभंकर।
असुरनिहन्ता प्रभु प्रलयंकर।। 20 ।।

‘नमः शिवायः’ मंत्र पंचाक्षर।
जपत मिटत सब क्लेश भयंकर।। 21 ।।

जो नर-नारि रटत शिव-शिव नित।
तिनको शिव अति करत परमहित।। 22 ।।

श्रीकृष्ण तप कीन्हो भारी।
भये प्रसन्न वर दियो पुरारी।। 23 ।।

अर्जुन संग लड़े किरात बन।
दियो पाशुपत-अस्त्र मुदित मन।। 24 ।।

भक्तन के सब कष्ट निवारे।
दे निज भक्ति सबन्हि उद्धारे।। 25 ।।

शंखचूड़ जालंधर मारे।
दैत्य असंख्य प्राण हर तारे।। 26 ।।

अन्धक को गणपति पद दीन्हों।
शुक्र शुक्रपथ बाहर कीन्हों।। 27 ।।

तेहि सजीवनि विद्या दीन्हीं।
बाणासुर गणपति गति कीन्हीं।। 28 ।।

अष्टमुर्ति पंचानन चिन्मय।
द्वादश ज्योतिर्लिंग ज्योतिर्मय।। 29 ।।

भुवन चतुर्दश व्यापक रूपा।
अकथ अचिन्त्य असीम अनूपा।। 30 ।।

काशी मरत जंतु अवलोकी।
देत मुक्ति पद करत अशोकी।। 31 ।।

भक्त भगीरथ की रूचि राखी।
जटा बसी गंगा सुर साखी।। 32 ।।

रूरू अगस्तय उपमन्यू ज्ञानी।
ऋषि दधीचि आदिक विज्ञानी।। 33 ।।

शिवरहस्य शिवज्ञान प्रचारक।
शिवहिं परमप्रिय लोकोद्धारक।। 34 ।।

इनके शुभ सुमिरनतें शंकर।
देत मुदित हृै अति दुर्लभ वर।। 35 ।।

अति उदार करूणावरूणालय।
हरण दैन्य-दारिद्र्य-दुःख-भय।। 36 ।।

तुम्हरो भजन परम हितकारी।
विप्र शूद्र सब ही अधिकारी।। 37 ।।

बालक वृद्ध नारि-नर ध्यावहिं।
ते अलभ्य शिवपद को पावहिं।। 38 ।।

भेदशून्य तुम सब के स्वामी।
सहज-सुहृद सेवक अनुगामी।। 39 ।।

जो जन शरण तुम्हारी आवण।
सकल दुरित तत्काल नशावत।। 40 ।।

सन्नाटे का परिचय

भारतीय संस्कृति में भगवान शिव को माना जाता हैं विश्व के प्रथम योगी और भोलेनाथ के रूप में विख्यात। शिवरात्रि के अवसर पर, उनकी भक्ति और श्रद्धा का अभिवादन करने के लिए जय शिव शंकर ओढ़दानी एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस प्राचीन पर्व के माध्यम से शिवजी की आराधना की जाती है और समाज में सामरस्य, शांति, और दया के संदेश को प्रसारित किया जाता है।

पूर्व तयारी: जय शिव शंकर ओढ़दानी का महत्व

जय शिव शंकर ओढ़दानी का पर्व पूर्वजों से संबंधित है जो इसे अपनी संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। इस दिन को धार्मिक उत्सवों के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व भगवान शिव के प्रतिभाव और उनके दिव्य गुणों को याद करने का अवसर प्रदान करता है। यह एक भक्तिमय और धार्मिक उत्सव होता है जो समाज में एकता और शांति के संदेश को बढ़ावा देता है।

ओढ़दानी के आयाम

हिंदू परंपराओं में महत्वपूर्ण स्थान

जय शिव शंकर ओढ़दानी भारतीय परंपराओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस दिन पर लोग शिवजी की पूजा अर्चना करते हैं और उनके गुणों का गान करते हैं। साथ ही, इस अवसर पर धार्मिक ग्रंथों से प्रेरणा लेकर समाज में भाईचारे और सद्भावना का प्रचार-प्रसार किया जाता है।

विभिन्न रूपों में ओढ़दानी का उत्सव

ओढ़दानी को विभिन्न रूपों में मनाया जाता है, जैसे कि संगीत सभा, कार्यशाला, और कविसम्मेलन इत्यादि। इन आयोजनों में कला, संस्कृति, और धार्मिक ग्रंथों पर चर्चा होती है, जो शिवजी के उत्साही भक्तों को आकर्षित करती है। इन आयोजनों में भारतीय संस्कृति की धरोहर को बचाए रखने के लिए नाटक, गायन, और नृत्य की भी कलाओं को प्रदर्शित किया जाता है।

ओढ़दानी में रंगों का त्योहार

जय शिव शंकर ओढ़दानी का पर्व रंगों के साथ खूबसूरती से मनाया जाता है। लोग इस दिन भगवान शिव के चित्रों और प्रतिमाओं को फूलों, अर्चना सामग्री, और रंगों से सजाते हैं। इससे आत्मीयता का वातावरण बनता है और लोग आपसी प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं। भक्तों के द्वारा नृत्य, संगीत, और कविताएं भी प्रस्तुत की जाती हैं, जिनसे धार्मिक और सांस्कृतिक संस्कृति के प्रति समर्पण दिखता है।

समाज में सामरस्य का महत्व

ओढ़दानी का उत्सव भारतीय समाज में सामरस्य और एकता को बढ़ावा देता है। इस दिन, लोग धार्मिक भावना से आपसी मिलन-जुलन करते हैं और एक-दूसरे के साथ भाईचारे का अनुभव करते हैं। शिवरात्रि के अवसर पर ओढ़दानी के माध्यम से लोग शांति और प्रेम के संदेश को समझते हैं जो वे अपने जीवन में अपनाते हैं। इस पर्व के माध्यम से धार्मिक भावना को जीवन में संप्रेरित करने के लिए अनेक लोग विशेष प्रतिमाएं और ज्योतियों को भी सजाते हैं।

शिव शंकर ओढ़दानी का संदेश

ओढ़दानी का पर्व हमें भगवान शिव के महान गुणों का स्मरण करता है और हमें एकजुट होने के महत्व को सिखाता है। शिवजी का संदेश है कि हमें अन्यों के प्रति समर्पित रहना चाहिए और समाज में सामरस्य और प्रेम को बढ़ावा देना चाहिए। इसके अलावा, हमें योग का महत्व भी समझाता है, जो हमारे शरीर, मन, और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करता है।

ओढ़दानी का महत्व आज के युवा पीढ़ी के लिए

आधुनिक दौर में युवा पीढ़ी को धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को समझने की आवश्यकता है। ओढ़दानी इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और युवाओं को धार्मिक एवं सांस्कृतिक पर्वों के महत्व को समझने का मौका प्रदान करती है। यह उन्हें भगवान शिव के उत्साही भक्त बनने के लिए प्रेरित करता है और उन्हें समाज में सामरस्य, शांति, और प्रेम के मूल्य को सीखने में मदद करता है।

उपास्य भगवान शिव: महादेव की आराधना

भगवान शिव के उपास्य रूप को आराधित करने के लिए शिवरात्रि का पर्व सबसे सुभाग्यशाली अवसर है। इस दिन भक्तों को रात्रि में जागरण करके भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए और उनके दिव्य गुणों का गान करना चाहिए। भक्ति और श्रद्धा के साथ, लोग भगवान शिव के चरणों में अपनी समस्त इच्छाओं को समर्पित करते हैं और उनके कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

नित्य और अनित्य की धारा: शिव के गुण

भगवान शिव के गुण दोनों नित्य और अनित्य हैं। उनके संसार के साथ जुड़े हुए हैं और उनकी धारा हमें जीवन में समर्थान देती है। शिवजी की अनन्य भक्ति से लबलब भाग्य के साथ, भक्तों की जीवन में समृद्धि, शांति, और समस्त संशयों का नाश होता है।

धार्मिक महत्व के साथ अन्य लाभ

जय शिव शंकर ओढ़दानी का उत्सव हमें धार्मिकता के साथ-साथ अन्य लाभ भी प्रदान करता है। शिवरात्रि के इस अवसर पर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। धार्मिक उत्सवों में प्रसारित होने वाले विभिन्न रीति-रिवाज और परंपराएं भी समृद्धि के प्रतीक होती हैं।

आध्यात्मिक महत्व

ओढ़दानी के माध्यम से भगवान शिव की आराधना और आध्यात्मिक उन्नति का संदेश समाज में प्रसारित होता है। इसके माध्यम से लोग अपने जीवन में धार्मिकता को समर्थान देते हैं और आध्यात्मिक संबलता को प्राप्त करते हैं। भगवान शिव की आराधना से मन की शांति और संतुलन होता है, जो भगवान के भक्तों को अपने जीवन में सफलता और खुशियों की प्राप्ति में सहायक होता है।

नियमित अभ्यास: शिव साधना के महत्व

भगवान शिव की साधना को नियमित रूप से करने से धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है। शिव साधक शिवरात्रि के अवसर पर व्रत रखकर, ध्यान करके, और भजन गाकर भगवान के प्रति अपनी अनन्य भक्ति और श्रद्धा का प्रदर्शन करते हैं। इस तरीके से, भगवान शिव के साथ उन्हें समृद्धि, संतुलन, और आनंद की प्राप्ति होती है।

अनुकूलता और परिवर्तन का समय

शिवरात्रि के अवसर पर, भक्त अपने जीवन में परिवर्तन का समय भी बनाते हैं। भगवान शिव की आराधना के माध्यम से, लोग अपने अधीनस्थ भावों, विचारों, और कर्मों को समीक्षा करते हैं और अनुकूलता और दया के मार्ग पर अग्रसर होते हैं। यह एक सकारात्मक बदलाव का समय होता है जो भगवान शिव के शरण में आने से होता है।

उत्सव के अंतर्गत विभिन्न अभियान

जय शिव शंकर ओढ़दानी उत्सव के अंतर्गत विभिन्न अभियान भी आयोजित होते हैं। इसमें अलग-अलग धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के जरिए समाज के विभिन्न वर्गों को संबोधित किया जाता है। इससे समाज में भाईचारे और आपसी अभिवादन का वातावरण बना रहता है।

शिव साधक के लिए सुझाव

शिव साधना में एक साधक को ध्यान और श्रद्धा के साथ अभ्यास करने के लिए निम्नलिखित सुझाव हैं:

  1. नियमित रूप से शिव साधना करें और शिवरात्रि के अवसर पर विशेष उत्सव में भाग लें।
  2. अपने जीवन में धार्मिक भावना को बढ़ावा देने के लिए भगवान शिव की कथाएं और कृपा के गान करें।
  3. ध्यान के माध्यम से मन को शांत करें और अपनी आत्मा को संबलित करें।
  4. समाज में सामरस्य और भाईचारे को प्रोत्साहित करने का प्रयास करें और अपने साथी लोगों की मदद करें।
  5. धार्मिक ग्रंथों से प्रेरणा लेकर, अपने जीवन में नैतिकता और ईमानदारी को समर्थान दें।

समाप्ति

जय शिव शंकर ओढ़दानी का उत्सव एक भक्तिमय और धार्मिक पर्व है जो समाज में सामरस्य और शांति के संदेश को प्रसारित करता है। इस उत्सव के अवसर पर, हमें भगवान शिव की आराधना करके उनके दिव्य गुणों का स्मरण करने का अवसर मिलता है। यह पर्व हमें धार्मिकता के महत्व को समझाता है और समाज में भाईचारे और प्रेम को बढ़ावा देता है।

अकस्मात पूछे जाने वाले पांच सवाल

1. शिवरात्रि का महत्व क्या है?

शिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करके भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति का संदेश मिलता है।

2. ओढ़दानी का महत्व क्या है?

ओढ़दानी भगवान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है जो समाज में एकता और शांति के संदेश को प्रसारित करता है। इस पर्व के माध्यम से धार्मिक उत्साह और सांस्कृतिक भावना को बढ़ावा मिलता है।

3. शिवरात्रि में क्या किया जाता है?

शिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है और उनके दिव्य गुणों का गान किया जाता है। रात्रि में जागरण करके भजन गाये जाते हैं और धार्मिक कथाएं सुनी जाती हैं।

4. शिवरात्रि में कौन-कौन से व्रत रखे जाते हैं?

शिवरात्रि में लोग निर्जला व्रत रखते हैं, जिसमें उन्हें पूरे दिन भोजन नहीं करना पड़ता है। भगवान शिव की पूजा-अर्चना के बाद ही व्रत को खोलते हैं।

5. शिवरात्रि के बाद क्या किया जाता है?

शिवरात्रि के बाद भगवान शिव के ध्यान और भक्ति का अभ्यास जारी रहता है। लोग अपने जीवन में धार्मिकता और शांति को बढ़ावा देने के लिए नियमित रूप से साधना करते हैं।

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