शिव रक्षा स्तोत्र (Shiva Raksha Stotram) भगवान शिव की आराधना के लिए एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जिसका पाठ करने से शिव भक्तों को रक्षा मिलती है। यह स्तोत्र पुराणों में संकलित है और उसके गायन और पाठ का विशेष महत्व माना जाता है। इस स्तोत्र के अर्थ को समझने के लिए नीचे दिए गए पंक्तियों का अनुवाद दिया गया है:
शिव रक्षा स्तोत्र अर्थ सहित:
अस्य श्रीशिवरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य। ऋषिः।
अनुष्टुप्।
शिव ऋषिः।
श्रीमहाकाली-महालक्ष्मी-महासरस्वती-शिवप्रिय-महादेव-परमपराप्राप्त्यर्थे जपे विनियोगः।
ओं नमः शिवाय। ओं नमः शिवाय।
ओं नमः शिवाय। ओं नमः शिवाय।
ॐ सदाशिवः शिवेति जपे विनियोगः।
ॐ अस्य श्रीशिवरक्षास्तोत्रमहामन्त्रस्य। अनुष्टुप् छन्दः। शिव ऋषिः।
श्रीमहाकाली-महालक्ष्मी-महासरस्वती-शिवप्रिय-महादेव-परमपराप्राप्त्यर्थे जपे विनियोगः।
ओं नमः शिवाय। ओं नमः शिवाय। ओं नमः शिवाय। ओं नमः शिवाय।
शिव ऋषिरुवाच।
नमः शिवाय विष्णुरुपाय शिवरूपाय विष्णवे।
हरये वामदेवाय शिवलिङ्गरूपाय नमः॥
अर्थ: शिव ऋषि कहते हैं।
नमस्कार भगवान विष्णु को जो शिवरूपी हैं और विष्णु को जो हरि (हरा) हैं। वामदेव (भगवान शिव) को जो शिवलिंग रूपी हैं, उन्हें मेरा नमन॥
सर्वदेवमयं लिङ्गं नमस्तस्मै नमो नमः। यस्य रूपं च न जानामि यस्य रूपं न जानति॥
अर्थ: शिव ऋषि कहते हैं।
मैं प्रणाम करता हूँ उस शिवलिंग को, जो सभी देवताओं का समावेश हैं, उसको बार-बार नमस्कार करता हूँ। मैं उसका रूप नहीं जानता, वह अप्रतिम हैं, और जिसका रूप कोई नहीं जानता॥
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
अर्थ: शिव ऋषि कहते हैं।
तुम सबका सबसे महान मंगलमयी हो, सब कार्यों को पूर्ण करने वाली हो, शिवरूपी हो। तुम सबकी शरण हो, तुम त्र्यम्बका हो, गौरी हो, नारायणी हो। तुम्हारे प्रति मेरा नमन हो।
वन्दे देवमुमापतिं सुरगुरुं वन्दे जगत्कारणं। वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं वन्दे पशूनां पतिम्॥
अर्थ: शिव ऋषि कहते हैं।
मैं उस देवदेव को वन्दन करता हूँ, जो उमा के पति हैं, सुरों के गुरु हैं, जगत के कारण हैं। मैं वन्दन करता हूँ उस पन्नगभूषणी विशेष को, मृगधर को, जानवरों के स्वामी को॥
नमः शिवाय। नमः शिवाय।
नमः शिवाय। नमः शिवाय॥
इति श्रीशिवरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णं॥
अर्थ: इस प्रकार श्रीशिवरक्षा स्तोत्र समाप्त होता है॥
यह स्तोत्र शिवरक्षा का जप करने के लिए प्रयोग में लाया गया है और इसके पाठ करने से भगवान शिव की कृपा, आशीर्वाद और सभी प्रकार के संकटों से सुरक्षा प्राप्त होती है।
ये पंक्तियाँ शिव रक्षा स्तोत्र के कुछ अंश हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और उनकी रक्षा होती है। यह स्तोत्र भक्तों के द्वारा नियमित रूप से जपा जाता है ताकि उन्हें शिव की कृपा बनी रहे और उनकी सुरक्षा होती रहे।
शिव रक्षा स्तोत्रम् हिंदी में एक प्रसिद्ध धार्मिक स्तोत्र है, जो भगवान शिव के समर्पण किया जाता है। यह स्तोत्र शिवभक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध है और भक्ति एवं आंतरिक शांति के लिए प्रार्थना का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इस स्तोत्र में शिव को उनकी शक्ति और महिमा के साथ समर्पित किया जाता है। इसके बोलों का पाठ और गायन करने से भक्त शिव के आस्थान पर समर्पण का अनुभव करते हैं।
महत्वपूर्ण बिंदुओं का वर्णन
शिव रक्षा स्तोत्रम् के विशेषताएँ
शिव रक्षा स्तोत्रम् के अद्वितीय गुणों के बारे में जानकारी देते हुए, यह उद्घाटनीय है कि इस स्तोत्र में शिव की प्रतिभा, कृपा और प्राचीनता की महिमा व्यक्त होती है। यह स्तोत्र शिव के परिवार, विभिन्न नाम, गुण और विशेषताओं के संक्षेप में वर्णित करता है। इसके बोल और व्याख्यान से, भक्त शिव के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं और उनकी भक्ति में नवीनता लाते हैं।
स्तोत्र के आधार पर ध्यान देने योग्य विचार
शिव रक्षा स्तोत्रम् के आधार पर ध्यान देने योग्य कुछ महत्वपूर्ण विचार हैं:
1. शिव के अस्तित्व का अनुभव
इस स्तोत्र के द्वारा, हम शिव के महत्वपूर्ण गुणों का अनुभव करते हैं। शिव का अस्तित्व, जो कि अद्वितीय है, हमारे जीवन में आशीर्वाद और सुख लाता है।
2. शिव की शक्ति को महसूस करना
शिव रक्षा स्तोत्रम् के माध्यम से, हम शिव की अद्वितीय शक्ति को महसूस करते हैं। यह हमें उस ऊर्जा की ओर प्रवृत्त करता है जो हमारी जीवन में शक्ति, सुरक्षा और समृद्धि का संचार करती है।
3. भक्ति और आंतरिक शांति की प्राप्ति
शिव रक्षा स्तोत्रम् गायन और पाठ करने से, हम भक्ति और आंतरिक शांति की प्राप्ति के लिए एक प्रार्थना करते हैं। यह हमें मन की शुद्धि, मानसिक स्थिरता और आध्यात्मिक विकास के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।