जय शिव शंकर जय गंगाधार! (Jai Shiv Shankar Jai Gangadhar Lyrics in Hindi PDF Download) – यह एक शिव भक्ति के लिए प्रचलित उत्साहभरा ध्वनि है जो पूरे भारत में गूंजता है। भारतीय संस्कृति में शिव भगवान् एक महत्वपूर्ण देवता माने जाते हैं, और उनके भक्तों का जीवन उनके ध्यान, भक्ति, और पूजा से सजता है। इस लेख में, हम जय शिव शंकर जय गंगाधार के विषय में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।
जय शिव शंकर जय गंगाधार,
करुणासागर जय कृपाधार।
जग के पालनहार, देव हर,
जगत के स्वामी सबके स्वामी।
जगतारण हे आदित्यवार,
सबके पालनहार भक्तवत्सल।
मन का विकार करे हर,
तारक है यह संसार जय शिव शंकर।
अनंत अनादि माधवनाथ,
महादेव महेश विश्वनाथ।
विश्वविधाता, भक्तनिवास,
जगपति जगदीश्वर गिरिजापति।
शेष शय्या सदा भवानीपति,
चंद्रमा मौलि सदा शशिपति।
कैलासवासी वृषवाहन,
विनायक विश्वभुवनवंदन।
शिव शंकर के ध्यानी हैं सब,
श्रीगुरुदेव के भक्त सज्जन।
भक्त वत्सल सदा शिवजी हे,
त्रिगुणात्मक तुम त्रिपुरारी।
नाम जपते जगजननी जय,
सतत बिगत भवभयहारिणी।
जग जननी हे दुःखविनाशनी,
सबसे योग्य हे तुम्हारी स्तुति।
नाम सुनते ही आनंद आता,
भक्तों के दुःख सब नष्ट होता।
धारण करते जो भक्त तुम्हारा,
उनका कल्याण हे है निश्चित।
जय शिव शंकर जय गंगाधार,
करुणासागर जय कृपाधार॥
शिव भगवान् के रूप में जय शंकर
शिव, भारतीय पौराणिक कथाओं और वेदों में दिव्य और रहस्यमय देवता के रूप में प्रतिष्ठित है। शंकर शब्द संस्कृत शब्द ‘शंकर’ से आया है, जिसका अर्थ होता है “मंगलकारी” या “सुंदरता वाले”। भगवान शिव को उनकी नेत्रज्योति के कारण ‘नीलकंठ’ भी कहा जाता है, क्योंकि उनके गले के नीचे नीले रंग की गले कांटे हैं।
धार्मिक महत्व
भगवान शिव को भारतीय धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है। वे त्रिमूर्ति के एक हिस्से माने जाते हैं, जिनमें ब्रह्मा (सृष्टि के सृजनकर्ता), विष्णु (सृष्टि के पालक और पालनकर्ता), और महेश (सृष्टि के संहारकर्ता) शामिल हैं। शिव जी के प्रतिनिधित्व में उनका त्रिशूल और नागार्जुन धारण किया जाता है।
गंगाधार – गंगा को अपने जटा में संभालनेवाला
भगवान शिव के अलावा उनके अनेक पवित्र और महान कार्यों का वर्णन है। गंगाधार के रूप में भी उनका एक विशेष स्थान है। जब भगीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर अवतरित करने का निर्णय किया, तो उन्होंने गंगा को अपने जटा में संभाला और उसे पृथ्वी पर धारण किया। इस प्रकार, शिव जी ने भूमि को गंगा के पावन जल से शुद्ध कर दिया और उसे धरती पर विकसित किया।
गंगा – पवित्र नदी
गंगा नदी भारत में एक पवित्र नदी के रूप में प्रसिद्ध है। इसे भगवान शिव के जटा से निकला हुआ माना जाता है और इसलिए इसे भी गंगाधार कहा जाता है। गंगा को माँ गंगा के रूप में भी पुजा जाता है और इसे मोक्ष की प्राप्ति का माध्यम माना जाता है। भारतीय संस्कृति में गंगा को एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है, और लाखों लोग हर वर्ष इसके तट पर स्नान करने आते हैं।
जय शिव शंकर जय गंगाधार का महत्व
जय शिव शंकर जय गंगाधार का उच्चारण शिव भक्ति में उत्साह भरा जाता है और इसका अर्थ होता है ‘भगवान शिव को प्रणाम’ और ‘भगवान शिव को गंगाधार के साथ जोड़ना’। भगवान शिव और माँ गंगा के यह मिलन का संबंध अत्यंत पवित्र माना जाता है। जब भगवान शिव ने गंगा को अपने जटा में संभाला, तो यह एक ऐतिहासिक घटना बनी और उनके भक्तों में भगवान शिव के प्रति और भक्ति बढ़ गई।
समाप्ति
इस लेख में, हमने जय शिव शंकर जय गंगाधार के विषय में विस्तृत जानकारी प्रदान की। भगवान शिव और माँ गंगा के इस अनुबंधन का महत्व अत्यंत गरिमामय है, और इसे भक्ति भाव से याद करना चाहिए।
5 अद्भुत प्रश्न
गंगा की उत्पत्ति कैसे हुई?
हिंदू पौराणिक कथानक के अनुसार, गंगा की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा के कमल से हुई थी। देवी गंगा को भगवान विष्णु ने स्वयं धारण किया था और उनके बालक रूप में उनके जटाओं से बहकर पृथ्वी पर आई। गंगा जी को नदी रूप में धारण किया गया और वे उत्तराखण्ड के गौमुख स्थान से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। इसे भगवान शिव ने जन्मदिन के अवसर पर अपने बालक रूप में स्वीकारा था और इसलिए इसे गंगाधार भी कहा जाता है।
जय शिव शंकर जय गंगाधार का अर्थ क्या है?
“जय शिव शंकर जय गंगाधार” यह श्लोक भगवान शिव के प्रशंसावन और गुणगान के लिए प्रयोग किया जाता है। इस श्लोक में निहित है:
“जय शिव शंकर” जिसका अर्थ है ‘भगवान शिव को जय हो’, इसके साथ ही शिव के शंख (शंकर) का उल्लेख है।
“जय गंगाधार” जिसका अर्थ है ‘गंगा को जय हो’, इसमें गंगा जी के धारण करने वाले शिव का स्मरण होता है।
भगवान शिव के कुल से कौन-कौन से देवी-देवता हैं?
भगवान शिव के अनेक पुत्र और पुत्रियां हैं। कुछ प्रमुख देवी-देवता हैं:
गणेश: भगवान शिव और पार्वती के पुत्र, विद्या, बुद्धि, युक्ति, और समृद्धि के प्रतीक के रूप में पूजे जाते हैं।
कार्तिकेय: भगवान शिव और पार्वती के दूसरे पुत्र हैं, वे सैन्य के देवता हैं और सुर्य पुत्र के रूप में जाने जाते हैं।
आर्यमा: भगवान शिव की एक पुत्री हैं, जो सूर्य के प्रकाश की देवी हैं।
गंगा: भगवान शिव की पुत्री हैं, जिनका मनन करके उन्हें पृथ्वी पर आने का अवसर मिला।
आशुतोषी: भगवान शिव और पार्वती की पुत्री हैं, जिन्हें उनके व्यापार और कठिनाइयों के कारण प्रसन्न होने वाले के रूप में जाना जाता है।
भगवान शिव की धार्मिकता में क्या खास बातें हैं?
भगवान शिव हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण देवता हैं और उनकी धार्मिकता में कुछ खास बातें है
गंगा को पवित्र नदी मानने के पीछे का वैज्ञानिक कारण क्या है?
वैज्ञानिक रूप से देखें तो, गंगा नदी को पवित्र माना जाता है क्योंकि इसके पानी में अनेक प्रकार के धार्मिक और गर्भावस्था से सम्बंधित परंपरागत धार्मिक कारण हैं। गंगा को नहाने, पीने और इसके जल को लेने से शारीरिक और मानसिक शुद्धि का अनुभव होता है, जिससे लोगों को शांति और सकारात्मक भावनाएं प्राप्त होती हैं।