शिव महिम्न स्तोत्र एक प्रमुख हिंदू स्तोत्र है जिसमें शिव की महिमा और महत्व की सराहना की गई है। इस स्तोत्र के पाठ से शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आनंद, शांति, और सुख का अनुभव होता है। यह स्तोत्र श्रीमद् भागवत महापुराण के उत्तरखंड में स्थित है और उसके लेखक का नाम आदि शंकराचार्य रखा गया है। इस स्तोत्र में शिव के विभिन्न गुणों, शक्तियों, और महिमा की स्तुति की गई है। अगर आप शिव के भक्त हैं और उनकी आराधना करना चाहते हैं, तो आपके लिए यह स्तोत्र बहुत ही महत्वपूर्ण है।
Shiv Mahimna Stotra in Hindi Pdf lyrics – शिव महिम्न स्तोत्र हिंदी में:
॥ शिव महिम्न स्तोत्र ॥
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्॥१॥
निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं
गिरा ज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम्।
करालं महाकाल कालं कृपालं
गुणागारसंसारपारं नतोऽहम्॥२॥
तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं
मनोभूतकोटिप्रभाश्रियं साम्भवाम्।
लिंगं सुगन्धसुव्रीतं च सुखप्रदं
तन्नामामीशमीशान निर्वाणरूपम्॥३॥
सर्वप्रदं सुप्रदं भवेप्रदं भवानि
सुखादं सुखसंप्रदं जगद्योनिप्रदम्।
अशेषलोकशङ्करं नमामि भवं भवानि
भवानि भावसागरं नमामि प्रभावं॥४॥
प्रपञ्चसृष्ट्यदिसंस्थितिलीनहेतुं
जगन्निवासं भजामि शिवं शिवाक्यम्।
शम्भूमवापन्नं भवेश्वरं जगद्योनिम्
अव्ययं मूर्तिलिङ्गं निरञ्जनं सेवे॥५॥
अम्बानन्दभूतं जगज्जननीनाथं
अमितामितविक्रमं भवसंभवम्।
अविरल्लभं भूसुरैर्मुनीश्वरैः
वन्दितं ताम्बूलपानिपात्रमीदे॥६॥
श्रीशैलनाथं परिपूर्णबोधं
सर्वव्यापकं सर्वशृङ्गमेयम्।
जगज्जीवनं जगदेकमेशं
नमामि शंकरं सच्चिदानन्दरूपम्॥७॥
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अकामं महामीन्धं विषयेश्वरम्।
अखण्डं अनन्तं अपूर्णं भवानि
पूर्णं गिरीशं गिरिशानमाखिलं॥८॥
नीलकण्ठं मृगप्रियं चरुं बिल्वम्
वासुकिं वामांगमनिलं सुमनोहारम्।
सहस्रपत्रं सद्गुणाकरं विभुं
विश्वाधारं विश्ववन्द्यं परमेश्वरम्॥९॥
अर्धचन्द्राननं अरविन्दबाणं
प्रजापतिं प्रणतं नीलकण्ठमीशम्।
मूकं करोति वाचालं पंगुं लङ्घयते गिरिं
यत्कृपातांहम् वन्दे परमानन्दमादवम्॥१०॥
सर्वस्वं सर्वव्यापकं सर्वशक्ति
सर्वामृतामृतं सर्वदायकं परम्।
सर्वदृग्सर्वदेवं सर्वगन्धैर्घृतैर्मुक्तं
नमामि शंकरं सच्चिदानन्दरूपम्॥११॥
॥ इति श्रीशिवमहिम्नस्तोत्रं संपूर्णम् ॥
शिव महिम्न स्तोत्र का महत्व
शिव महिम्न स्तोत्र का महत्व अत्यंत गहन और विशिष्ट है। इस स्तोत्र के पाठ से शिव के भक्त शिव की कृपा को प्राप्त करते हैं और उनके जीवन में खुशी, शांति, और समृद्धि का आभास होता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्त का मन शुद्ध होता है और उसे आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। शिव महिम्न स्तोत्र में शिव के महान गुणों और अद्भुत कार्यों की वर्णना की गई है, जो भक्तों को अद्भुत अनुभव देती है। इसका पाठ करने से भक्त को अधिक समर्पण और श्रद्धा की अनुभूति होती है और उसका जीवन सफलता की ओर प्रवृत्त होता है।
शिव महिम्न स्तोत्र के लाभ
शिव महिम्न स्तोत्र के पाठ से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यहां कुछ मुख्य लाभों की उल्लेख किया गया है:
- आध्यात्मिक उन्नति: शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह स्तोत्र शिव की महिमा और अद्भुत कार्यों का वर्णन करता है, जिससे भक्त को आध्यात्मिक ज्ञान और संयम की प्राप्ति होती है।
- शांति और सुख: शिव महिम्न स्तोत्र के पाठ से शांति और सुख की प्राप्ति होती है। इसका पाठ करने से मन को शांति मिलती है और जीवन में सुख का आनंद होता है।
- पापों का नाश: शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करने से पापों का नाश होता है। यह स्तोत्र भक्त को पापों से मुक्ति दिलाता है और उसे पवित्रता की अनुभूति होती है।
- कार्य सफलता: शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करने से कार्यों में सफलता मिलती है। यह स्तोत्र भक्त को शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करता है और उसे कार्यों में सफलता की प्राप्ति होती है।
- भक्ति की वृद्धि: शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करने से भक्ति की वृद्धि होती है। यह स्तोत्र भक्त को शिव के प्रति और उनकी सेवा के प्रति अधिक समर्पण करने की प्रेरणा देता है।
स्तोत्र का संरचना
शिव महिम्न स्तोत्र का संरचना निम्नलिखित है:
- मंगलाचरण: स्तोत्र की प्रारंभिक श्लोकों में आरंभिक मंगलाचरण किया जाता है जिससे शिव की प्रार्थना की जाती है।
- मुख्य भाग: स्तोत्र का मुख्य भाग में शिव की महिमा, गुण, और अद्भुत कार्यों का वर्णन किया गया है। इसमें भक्त शिव की स्तुति करता है और उनकी कृपा की प्रार्थना करता है।
- समाप्ति: स्तोत्र की समाप्ति में भक्त शिव की आराधना करते हुए धन्यवाद व्यक्त करता है और उनसे आशीर्वाद मांगता है।
संक्षेप में शिव महिम्न स्तोत्र
शिव महिम्न स्तोत्र हिंदी भाषा में एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो शिव की महिमा की सराहना करता है। इसका पाठ करने से भक्त को शिव की कृपा प्राप्त होती है और उसका जीवन सुखी और समृद्ध होता है। यह स्तोत्र शिव के विभिन्न गुणों, शक्तियों, और महिमा की स्तुति करता है और उसे आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रवृत्त करता है। इसके पाठ से भक्त को शांति, सुख, और सफलता की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, यह स्तोत्र भक्ति की वृद्धि करता है और उसे शिव की सेवा में अधिक समर्पण करने के लिए प्रेरित करता है।
शिव महिम्न स्तोत्र एक अद्भुत स्तोत्र है जिसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ किया जाना चाहिए। इस स्तोत्र का पाठ करने से हम शिव की महिमा और उनकी कृपा का आनंद ले सकते हैं और जीवन में आनंद, शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं। इसलिए, हमें नियमित रूप से शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करना चाहिए और उसके लाभों को अपने जीवन में अनुभव करना चाहिए।
प्रश्नों का समाधान
1. शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ किस भाषा में किया जा सकता है?
शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ हिंदी भाषा में किया जा सकता है। इसे हिंदी में संस्कृत के साथ पाठ करना भी बेहतर होता है।
2. शिव महिम्न स्तोत्र की प्रारंभिक श्लोकों का महत्व क्या है?
शिव महिम्न स्तोत्र की प्रारंभिक श्लोकों में मंगलाचरण किया जाता है जो स्तोत्र की शुरुआत करते हैं और शिव की प्रार्थना करते हैं। इन श्लोकों का पाठ करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है।
3. क्या शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करने से कोई लाभ होता है?
जी हां, शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यह स्तोत्र आध्यात्मिक उन्नति, शांति, सुख, पापों का नाश, कार्य सफलता, और भक्ति की वृद्धि में मदद करता है।
4. क्या शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से किया जा सकता है?
जी हां, शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से किया जा सकता है। यह अद्भुत स्तोत्र है और नियमित रूप से पाठ करने से अधिक लाभ मिलता है।
5. क्या शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करने से केवल धार्मिक लाभ होता है या फिर इसके अलावा भी कोई लाभ हो सकता है?
शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करने से धार्मिक लाभ के साथ-साथ अन्य भी लाभ होते हैं। इससे जीवन में शांति, सुख, समृद्धि, और कार्यों में सफलता की प्राप्ति होती है।
समाप्ति
शिव महिम्न स्तोत्र हिंदी भाषा में एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो शिव की महिमा, गुण, और अद्भुत कार्यों की स्तुति करता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्त को धार्मिक, आध्यात्मिक, और भौतिक लाभ मिलते हैं। इसलिए, हमें नियमित रूप से शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करना चाहिए और उसके लाभों को अपने जीवन में अनुभव करना चाहिए।